I am very glad to share a poem written by my grandmother...
मैं आरा में रहती थी
माता पिता चाचा चाची
सब मिलकर रहती
कौन अपना कौन पराया
नहीं समझती थी
जब आरा में पढ़ती थी
जब घर पर आती थी
छोटे छोटे भाई बहनों के
कभी खिलौने कभी कपड़े लाती थी
खुशी खुशी उनें गले लगाती थी ।।
जब माँ पिताजी ने ब्याह रचाया
ससुराल में भरा पूरा परिवार
हरा भरा मेरा घर संसार
परिवार में सास ससुर दादी सास थी
उनकी सेवा कर थक जाती थी
कभी रूठना कभी मनाना
यही है परिवार की परिभाषा
हरा भरा ये घर संसार ।।
छोटी ननदें और छोटे देवर
कभी रूठते कभी खुश होते
उन्हें पकड़ पकड़ कर लाती
हॅंस हॅंस कर दो बातें करती
पति पत्नी से सजता है परिवार
छोटे छोटे बच्चों से सजता है घर संसार
जब घर में आते मेहमान
सास ननद संग मिलकर स्वागत करती
कोई कमी नहीं छोड़ती
कोई समझ नहीं पाता
कैसा है यह परिवार निराला
हरा भरा ये घर संसार
जब हम माँ पिता बनें
खुशी से झूम उठे
घर में खुशियाँ छाई
आगे बढ़ा मेरा परिवार
हरा भरा मेरा घर संसार ।।
भगना- भगनी और अपने बच्चों में
कभी फर्क नहीं समझती
सभी को अपने जैसा अपनाया
खूब खिलाया खूब पहनाया ।।
एक डाल के दो पहलू
विभा और शैलजा
विभा ने डाकटरी जमाई
शादी रचाने के लिए कह कह कर थक जाती
किसी की नहीं सुनती अपनी ही मनमानी करती
माँ की व्यथा नहीं समझती
शैलजा कभी लटकती कभी मटकती
कभी आसमान में प्लेन
दिखा- दिखा कर खुश हो जाती
कभी इला कभी इया कभी जया
कभी शैलजा पूकारती है
ऐसी है मेरी गुड़िया रानी ।।
सभी छोटे बड़े लाड प्यार से
शैलू-शैलू कह कर पूकारते हैं
जब शैलू पड़ती बिमार
तन मन से उसकी सेवा में
सभी जूट जाते छोटे -बड़े तन मन से लग जाते
कोई नहीं समझ नहीं पाता
कैसा है यह परिवार निराला
हरा भरा ये संसार हमारा ।।
कुशल गृहणी के हाथ में
घर की बागडोर होती है
एक डोर में रखती परिवार को बाँध कर
अपना आँसू पोंछकर
दूसरों के खुशी में खुशी मनाती है
यही है मेरे परिवार की परिभाषा
ऐसा है मेरा परिवार निराला
हरा भरा ये संसार हमारा ।।
जब हमने अपने बच्चों का ब्याह रचाया
बेटा बेटी बहू दामाद से
भर गया मेरा संसार
नाती पोतों से भर गया मेरा घर द्वार
नानी नाना दादा दादी के गूँज से
सज गया मेरा संसार
नाती पोते मेरी बगिया के फूल हैं
मेरा घर द्वार
ये मेरे बच्चे दिल के सच्चे हैं
यही है मेरे परिवार की परिभाषा
ऐसा है मेरा परिवार निराला
हरा भरा ये संसार हमारा ।।
परिवार के बड़े बुढ़ों का साया हो
उसे कभी दुःख छू नहीं पाता
खुशी खुशी उनका जीवन कट जाता है
शादी हो या पर्व -त्यौहार
खुशी खुशी काम में हाथ बटातें हैं
उनके गले लग जाते हैं
जब परिवार में दुःख आता है
एक दूसरे के कंधे पर अपना सिर रख कर
अपना दुःख भूलाते हैं
हर चीज में गुण -अवगुण होता है
यही है परिवार की परिभाषा
ऐसा है मेरा परिवार निराला
हरा भरा ये संसार हमारा ।।
जब बच्चे परदेश जाते हैं
उनके सास - ससुर
माता - पिता खुशी मनाते हैं
अपनी व्यथा को दिल में छुपाकर
बच्चों के खुशी में अपनी खुशी मनाते हैं
आजकल की दुनिया में
बच्चे बुढ़ें छोटे छोटे टुकडों में बँटें हुए हैं
यही है परिवार की परिभाषा
ऐसा हैमेरा परिवार निराला
हरा भरा ये संसार हमारा ।।
पति पत्नी गाड़ी के दो पहिए हैं
जैसे गाड़ी एक पहिए पर नहीं चलती
जीवन की गाड़ी भी बिन दोनों के
सहयोग से नहीं चलती
कभी लड़ते कभी झगड़ते हैं
कभी मीठी मीठी बातें करते
फिर खुशी से गले लग जाते हैं
यही है परिवार की परिभाषा
ऐसा है मेरा परिवार निराला
हरा भरा ये संसार हमारा ।।
बीबी जब पड़े बिमार
आँखों में दो दो आँसू रोते हैं
कैसे चलेगा मेरा घर -संसार
किसी से कुछ नहीं कहते हैं
मन को अपने समझाते हैं
अपने बिछाए जाल में खुद़ फँस जाते हैं
अपनी हार में अपनी जीत समझते हैं
यही है परिवार की परिभाषा
भरा पूरा मेरा परिवार
यही हमारा घर संसार
ऐसा है मेरा परिवार निराला ।।
- Mrs. Radhika Verma